Friday, 24 December 2021

ॐ सग्ङ्च्छध्वं संवदध्वं traditional OM SANGACHCHADVAM SAMVADHVAM rss sanskrit संस्कृत



 संघ गीत sanghatana mantra

संगठन मंत्र।


ॐ सग्ङ्च्छध्वं संवदध्वं 

सं वो मनांसि जानताम् ।

देवा भागं यथा पूर्वे

 सञ्जानाना उपासते ।।


समानो मन्त्रः समितिः समानी 

समानं मनः सह चित्तमेषाम्।

समानं मन्त्रभिमन्त्रये वः

समानेन वो हविषा जुहोमि ||


समानी व आकूतिः 

समाना हृदयानि वः ।

समानमस्तु वो मनो 

यथा वः सुसहासति ||


ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।

***

भावार्थ - हम सब सदैव एक साथ चले, हम सब सदैव एक साथ बोले, हम सभी का मन एक जैसा हो। हमारे विचार समान हों, हम मिलकर रहें। 


हम सभी ज्ञानी बनें, विद्वान बनें। जिस प्रकार हमारे पूर्वज अपनी धन-संपदा का आपसी सहमति ओर परस्पर समानता के आधार पर वितरण किया करते थे, उसी तरह हम अपने पूर्वजों के समान आचरण करें। 


प्राचीन समय में देवताओं का आचरण बिल्कुल ऐसा ही रहा है, वे सदैव एक साथ मिलकर चलने वाले, एक समान आचरण करने वाले रहे हैं, इसीलिये देवतागण वंदनीय रहें है।

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