संघ गीत
जलते जीवन के प्रकाश में
अपना जीवन तिमिर हटायें
उस दधीची की तपः ज्योति से
एक एक कर दीप जलाएं।
जल जल दीप प्रखर तेजस्वी
अरुणांचल माता का कर दे
अमृतमय शोभामय मधुमय
भारत भू वैभव से भर दे
निज आदर्श रख निज जीवन को
हंसते हंसते भेंट चढाएं ।
जगें जगाये मातृ भूमि को
पुण्य भूमि को जन्म भूमि को
अर्पित कर दें जीवन की
तरुनाई पावन देव भूमि को
तन में शक्ति हृदय में बल दो
प्रभु वह ज्योति पुनः प्रकटाएं।
नहीं चाहिए पद यश गरिमा
सभी चढें माँ के चरणों में
भारत माता की जय केवल
शब्द पड़े जग के कर्णों में
आशा रख विश्वास बढ़ा कर
श्रद्धामय जीवन अपनाएं ।
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