संघ गीत
स्वयं अब जाग कर हमको जगाना देश है अपना।
जगाना देश है अपना जगाना देश है अपना।।
स्वयं अब...
हमारे देश की मिट्टी हमे प्राणों से प्यारी है।
यहाँ के अन्न जल वायु परम श्रद्धा हमारी है।
स्व भाषा है हमे प्यारी और प्यारा देश है अपना।
स्वयं अब.......
नहीं है अब समय कोई गहन निद्रा में सोने का।
समय है एक होने का, न मतभेदों में खोने का।
बढ़े बल राष्ट्र का जिसमें वो करना मेल है अपना।
स्वयं अब.....
जतन हो संगठित हिन्दू, और सक्रिय भाव भरने का।
जगाने राष्ट्र की भक्ति हो उत्तम कार्य करने का।
समुन्नत राष्ट्र हो भारत यही उद्देश्य है अपना।।
स्वयं अब.......
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