संघ गीत
उठो साथियों समय नहीं है,
यह शोभा सिंगार का।
आज चुकाना है ऋण हमको,
भारत माँ के प्यार का।।
आज चुकाना है ऋण हमको,
माँ के दिए दुलार का।।
जान हथेली पर रखकर,चलना है मैदान में।
फर्क नहीं पड़ने देना है,देश धर्म की शान में।
सबके आगे एक प्रश्न है-2
सीमा पर अधिकार का।
आज चुकाना है....
जन जन के हाथों में हम, हिम्मत का हथियार दें।
जो भी दुश्मन चढ़ कर आता, उसको बढ़कर मार दें।
समय नही है फूलों के अब -2
अंगारों के हार का।
आज चुकाना है...
सबसे बढ़कर शक्ति समय की, आज हमारे पास है।
हमें खून से अपने लिखना, आज नया इतिहास है।
दुश्मन घुस आया भीतर तो -2
क्या होगा घर-बार का।
आज चुकाना है..
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