संघ गीत
गिरकर उठना उठकर चलना यह क्रम है संसार का ।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का।।
यह क्रम है संसार का ।
जो भी होता है घटनाक्रम रचता स्वयं विधाता है,
आज लगे जो दंड वही कल पुरस्कार बन जाता है ।
निश्चित होगा प्रबल समर्थन अपने सत्य विचार का ।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का।
कर्मों का रोना रोने से कभी न कोई जीता है
जो विष धारण कर सकता है वह अमृत को पीता है
संबल और विश्वास हमें है अपने दृढ़ आधार का ।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का।
त्रुटियों से कुछ सीख मिले तो त्रुटियां हो जाती वरदान,
मानव सदा अपूर्ण रहा है पूर्ण रूप होते भगवान ।
चिंतन मंथन से पथ मिलता त्रुट्टियों के परिहार का ।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का।।
गिरकर उठना उठकर चलना यह क्रम है संसार का ।
कर्मवीर को फर्क न पड़ता किसी जीत या हार का।।
यह क्रम है संसार का ।
***