संघ गीत
देश हमे देता है सबकुछ
हम भी तो कुछ देना सीखे ॥प॥
सूरज हमे रोशनी देता
हवा नया जीवन देती है
भूख मिटाने को हम सब की
धरती पर होती खेती है
औरों का भी हित हो जिसमे हम ऐसा कुछ करना सीखे ॥१॥
गरमी की तपती दुपहरमे
पेड सदा देते है छाया
सुमन सुगन्ध सदा देते है
हम सबको फूलों की माला
त्यागी तरुओं के जीवन से हम परहित कुछ करना सीखे ॥२॥
जो अनपढ है उन्हे पढाये
जो चुप है उनको वाणी दे
पिछड गये जो उन्हे बढाये
समरसता का भाव जगा दे
हम मेहनत के दीप जलाकर नया उजाला करना सीखे ॥३॥
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deSa hame detA hai sabakuCa
hama BI to kuCa denA sIKe ||pa||
sUraja hame roSanI detA
havA nayA jIvana detI hai
BUKa miTAne ko hama saba kI
dharatI para hotI KetI hai
auroM kA BI hita ho jisame hama aisA kuCa karanA sIKe ||1||
garamI kI tapatI dupaharame
peDa sadA dete hai CAyA
sumana sugandha sadA dete hai
hama sabako PUloM kI mAlA
tyAgI taru^^oM ke jIvana se hama parahita kuCa karanA sIKe ||2||
jo anapaDha hai unhe paDhAye
jo cupa hai unako vANI de
piCaDa gaye jo unhe baDhAye
samarasatA kA BAva jagA de
hama mehanata ke dIpa jalAkara nayA ujAlA karanA sIKe ||3||
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ದೇಶ ಹಮೇ ದೇತಾ ಹೈ ಸಬಕುಛ
ಹಮ ಭೀ ತೋ ಕುಛ ದೇನಾ ಸೀಖೇ ||ಪ||
ಸೂರಜ ಹಮೇ ರೋಶನೀ ದೇತಾ
ಹವಾ ನಯಾ ಜೀವನ ದೇತೀ ಹೈ
ಭೂಖ ಮಿಟಾನೇ ಕೋ ಹಮ ಸಬ ಕೀ
ಧರತೀ ಪರ ಹೋತೀ ಖೇತೀ ಹೈ
ಔರೋಂ ಕಾ ಭೀ ಹಿತ ಹೋ ಜಿಸಮೇ ಹಮ ಐಸಾ ಕುಛ ಕರನಾ ಸೀಖೇ ||೧||
ಗರಮೀ ಕೀ ತಪತೀ ದುಪಹರಮೇ
ಪೇಡ ಸದಾ ದೇತೇ ಹೈ ಛಾಯಾ
ಸುಮನ ಸುಗನ್ಧ ಸದಾ ದೇತೇ ಹೈ
ಹಮ ಸಬಕೋ ಫೂಲೋಂ ಕೀ ಮಾಲಾ
ತ್ಯಾಗೀ ತರುಓಂ ಕೇ ಜೀವನ ಸೇ ಹಮ ಪರಹಿತ ಕುಛ ಕರನಾ ಸೀಖೇ ||೨||
ಜೋ ಅನಪಢ ಹೈ ಉನ್ಹೇ ಪಢಾಯೇ
ಜೋ ಚುಪ ಹೈ ಉನಕೋ ವಾಣೀ ದೇ
ಪಿಛಡ ಗಯೇ ಜೋ ಉನ್ಹೇ ಬಢಾಯೇ
ಸಮರಸತಾ ಕಾ ಭಾವ ಜಗಾ ದೇ
ಹಮ ಮೇಹನತ ಕೇ ದೀಪ ಜಲಾಕರ ನಯಾ ಉಜಾಲಾ ಕರನಾ ಸೀಖೇ ||೩||
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देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें ॥ध्रु॥
सूरज हमें रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है ।
भूख मिटने को हम सबकी, धरती पर होती खेती है ।
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥१॥
गरमी की तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया ।
सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला ।
त्यागी तरुओं के जीवन से, हम परहित कुछ करना सीखें ॥२॥
जो अनपढ़ हैं उन्हें पढ़ाएँ , जो चुप हैं उनको वाणी दें ।
पिछड़ गए जो उन्हें बढ़ाएँ, प्यासी धरती को पानी दें।
हम मेहनत के दीप जलाकर, नया उजाला करना सीखें ॥३॥
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