संघ गीत
युग परिवर्तन की बेला में ,
हम सब मिलकर साथ चलें
देश धर्म की रक्षा के हित ,
सहते सब आघात चलें ।।
मिलकर साथ चलें-4
शौर्य पराक्रम की गाथाएं ,
भरी पड़ी है इतिहासों में
परंपरा के चिर उन्नायक ,
जिए निरंतर संघर्षों में
हृदयों में उस राष्ट्रप्रेम के ,
लेकर हम तूफान चले
मिलकर साथ चलें-4
कलयुग में संगठन शक्ति ही ,
जागृति का आधार बनेगी
एक सूत्र में पीरो सभी को ,
सपने सब साकार करेगी
संस्कृति के पावन मूल्यों की ,
लेकर हम सौगात चलें
मिलकर साथ चलें-4
ऊंच-नीच का भेद मिटाकर ,
समरस जीवन को सरसायें
फैलाकर आलोक ज्ञान का ,
परा शक्तियों को प्रकटाएं
निविड़ निशा की काट कालिमा ,
लाने नवल प्रभात चलें
मिलकर साथ चलें-4
अडिग हमारी निष्ठा उर में ,
लक्ष्य प्राप्ति की तड़पन मन में
तन मन धन सब अर्पण करने ,
संघ मार्ग के दुष्कर रण में
केशव के सास्वत विचार को ,
ध्येय मान दिन रात चलें
मिलकर साथ चलें-4
युग परिवर्तन की बेला में ,
हम सब मिलकर साथ चलें
देश धर्म की रक्षा के हित ,
सहते सब आघात चलें ।।
मिलकर साथ चलें-4
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