संघ गीत
हमको अपने भारत की,
माटी से अनुपम प्यार है ।
अपना तन-मन-धन और जीवन
माटी का उपहार है।।
इस माटी पर जन्म लिया था,
दशरथ-नंदन राम ने ।
इस माटी पर गीता गायी,
यदुकुल-भूषण श्याम ने ।
इस माटी के आगे झुकता-2
मस्तक बारम्बार है ।।
हमको अपने भारत की....
इस माटी की गौरव-गाथा,
गायी राजस्थान ने ।
इसे पुनीत बनाया अपने,
वीरों के बलिदान ने ।
मीरा के गीतों की इसमें -2
छिपी हुई झनकार है ॥२॥
कण-कण मंदिर इस माटी का,
कण-कण में भगवान है ।
इस माटी से तिलक करो,
यह अपना हिन्दुस्थान है ।
इस माटी का रोम-रोम-2
भारत का पहरेदार है ॥३॥
हमको अपने भारत की,
माटी से अनुपम प्यार है ।
अपना तन-मन-धन और जीवन-2
माटी का उपहार है।।
***