संघ गीत
यह उथल पुथल उत्ताल लहर,
पथ से न डिगाने पाएगी।
पतवार चलाते जाएंगे,
मंजिल आएगी आएगी।।
लहरों की गिनती क्या करना,
कायर करते हैं करने दो,
तूफानों से सहमें हैं जो,
पल-पल मरते हैं मरने दो।
चिर नूतन पावन बीज लिए,
मनु की नौका तिर जाएगी।।1।।
पतवार चलाते........
इस धरती में शक हूण मिटे,
गजनी गौरी और अब्दाली।
पश्चिम की लहरें लौट गयी,
ले ले अपनी झोली खाली।
पूंजी शाही बर्बरता सब,
ये धरती उदर समाएगी।।2।।
पतवार चलाते जाएंगे.....
अनगिन संकट जो झेल बढ़ा,
वह यान हमारा अनुपम है।
नायक पर है विश्वास अटल,
उर में बाहों में दम खम है।
यह रैन अंधेरी बीतेगी,
उषा जय मुकट चढ़ाएगी।।3।।
पतवार चलाते जाएंगे.....
यह उथल पुथल उत्ताल लहर,
पथ से न डिगाने पाएगी।
पतवार चलाते जाएंगे,
मंजिल आएगी आएगी।।
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