संघ गीत
ये शहीदों की जय हिंद बोली
ऐसी वैसी ये बोली नहीं है।
इनके माथे पे खून का टीका
देखो देखो ये रोली नहीं है।
सर कटाऊँ जवानों को लेकर
चल पड़े हैं वो सीमा के आगे।
हम हैं संतान राणा शिवा की
कायरों की ये टोली नहीं है।।
ये शहीदों की ...
चल दिया जब जवां हंसते हंसते
माँ की ममता तड़प करके बोली।
आ मेरी गोद में लाल सो जा
अब तेरे पास गोली नहीं है।।
ये शहीदों की ..
अब विदा जाने वाले शहीदों
खून की सुर्ख पगड़ी पहन कर।
खून की आज बौछार देखो
आज रंगो की होली नहीं है।
ये शहीदों की...
देश को आँख दिखलाने वाले
भस्म हो जाएंगे सारे दुश्मन।
ये भला है कि अब तक हमने
तीसरी आंख खोली नहीं है।।
ये शहीदों की जय हिंद बोली
ऐसी वैसी ये बोली नहीं है।
इनके माथे पे खून का टीका
देखो देखो ये रोली नहीं है।
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