संघ गीत - dhwaj geet
आज हिमालय की चोटी से,
ध्वज भगवा लहराएगा ।
जाग उठा है हिन्दू फिर से,
भारत स्वर्ग बनाएगा ॥
इस झंडे की महिमा देखो, रंगत अजब निराली है ।
इस पर तो ईश्वर ने डाली सूर्योदय की लाली है ।
यह अग्नि है इसमें शत्रु, स्वाहा ही हो जाएगा।
जाग उठा है ...
इस झंडे को चन्द्रगुप्त ने हिन्दू-कुश पर लहराया ।
मरहटों ने मुग़ल-तख़्त को चूर-चूर कर दिखलाया ।
मिट्टी में मिल जाएगा जो इसको अकड़ दिखाएगा।
जाग उठा है .....
इस झंडे की खातिर देखो प्राण दिए रानी झांसी ।
हमको भी यह व्रत लेना है, सूली हो या हो फांसी ।
बच्चा-बच्चा वीर बनेगा, अपना रक्त बहाएगा ॥३
जाग उठा है ....
आज हिमालय की चोटी से,
ध्वज भगवा लहराएगा ।
जाग उठा है हिन्दू फिर से,
भारत स्वर्ग बनाएगा ॥
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