संघ गीत
करवट बदल रहा है देखो भारत का इतिहास ।
जाग उठा है हिंदू हृदय में विश्व विजय विश्वास।।
सदियों से विस्मृत गौरव का भारत मां परिचय देगी।
सौम्य शांत सुखदाई जननी नवयुग नवजीवन देगी।
उस जीवन दर्शन से होगा मानव धर्म विकास ।
पश्चिम के असफल चिंतन का शनैः शनैः हो ह्रास।
मिस्र रोम यूनान मिट गये भरत भूमि है अविनाशी।
आदि अनादि अनंत राष्ट्र है संस्कृति सुचिता अभिलाषी
भोग वाद के महल ढह रहे बदल रहा इतिहास।
बुझा सके हिंदुत्व सुधा ही अब वसुधा की प्यास।
सत्रह बार क्षमा अरि दल को ऐसी भूल ना अब होगी।
कोटि कोटि बाहों वाली माँ ना अबला कहलाएगी।
देश विघातक षड्यंत्रों का निश्चित निकट विनाश।
एक अखंडित भारत देगा अनुपम विमल प्रकाश।।
संघ वृक्ष शाखा उपशाखा दसों दिशा में फैल रही।
हिंदू राष्ट्र की विजय पताका लहर लहर ललकार रही।
केवल सत्ता से मत करना परिवर्तन की आस।
जागृत जनता के केंद्रों से होगा अमर समाज।।
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