संघ गीत
पूज्य माँ की अर्चना का
एक छोटा उपकरण हूँ।
उच्च है वह शिखर देखो
मैं नहीं वह स्थान लूंगा।
और चित्रित भित्तिका है
मैं नहीं शोभा बनूँगा
पूज्य है यह मातृमंदिर
नींव का मैं एक कण हूँ।
मुकुट माँ का जगमगाता
मैं नहीं सोना बनूँगा।
जगमगाते रत्न देखो
मैं नहीं हीरा बनूँगा।
पूज्य माँ की चरण रज का
एक छोटा धूल कण हूँ।
आरती भी हो रही है,
गीत बनकर क्या करूंगा।
मालिका भी चढ़ रही है,
पुष्प बन कर क्या करूंगा।
मालिका का एक तंतु
गीत का मैं एक स्वर हूँ।
***