संघ गीत
कदम निरन्तर चलते जिनके, श्रम जिनका अविराम है।
विजय सुनिश्चित होती उनकी, घोषित यह परिणाम् है॥
लौकिक और अलौकिक बन्धन, जिनको बांध नहीं पाते।
घिरें विघ्न बाधाएं फिर भी, तनिक नही वे घबराते।
मान चुनौती करें सामना, यह जीवन संग्राम हैं॥
साहस सम्बल होता जिनका, धैर्य सारथि होता है।
लोकहितैषी बनकर अपने, प्राणों को भी खोता है।
इतिहास सदा लिखता पृष्ठों पर, उनका स्वर्णिम नाम है॥
कालचक्र के माथे पर जो पौरुष की भाषा लिखते।
उनकी मृत्यु कभी नही होती, वे केवल करते दिखते।
मातृभूमि की पावन गीता, गाते आठों याम है॥
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