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जन्मभूमि कर्मभूमि स्वर्गसे महान है
अनादि है अनंत है सृष्टिका विधान है ॥धृ॥
ग्रीक हूण शक यवन टूटते थे भूमि पर
हारते थे हौंसले पंचनद के तीर पर
पता नहीं कहां है वे अतीत मे समागये
काल के प्रवाह मे निजको वे मिटा गये
भव्य दिव्य लक्ष्य की, प्राप्ति ही विराम है ॥१॥
छोडकर हटे जहां, शक्ति शौर्य साधना
छा गयी स्वदेश मे स्वार्थ क्षुद्र भावना
द्रोहि तब पनप उठे जगी प्रचंड वासना
शत्रु फिर डटे यहां स्वत्व की प्रतारणा
देशभक्ति फिर जगे देश का ये प्राण है ॥२॥
जाति वेष भिन्न भिन्न पंथ भी अनेक है
भावना अभिन्न है धर्म - मर्म एक है
पूर्वजों का खून एक आज सबको जोडता
कौन है कपूत वह देस को जो तोडता
अखंद डेश की धरा सुन रही ये गान है ॥३॥
अधर्म की घिरी घटा कुचक्र है पनप रहे
पुण्य धर्म भूमि पर अधर्म कर्म बढ रहे
वृथा विशाल् देश की आज हम समझ सके
शुद्ध राष्ट्रभावसे, देश यह महक उठे
राष्ट्रजागरण करो यही समय की मांग है ॥४॥
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janmaBUmi karmaBUmi svargase mahAna hai
anAdi hai anaMta hai sRuShTikA vidhAna hai ||dhRu||
grIka hUNa Saka yavana TUTate the BUmi para
hArate the houMsale paMcanada ke tIra para
pataa nahIM kahAM hai ve atIta me samAgaye
kAla ke pravAha me nijako ve miTA gaye
Bavya divya lakShya kI, prApti hI virAma hai ||1||
CoDakara haTe jahAM, Sakti Sourya sAdhanA
CA gayI svadeSa me svArtha kShudra BAvanA
drohi taba panapa uThe jagI pracaMDa vAsanA
Satru phira DaTe yahAM svatva kI pratAraNA
deSaBakti phira jage deSa kA ye prANa hai ||2||
jAti veSha Binna Binna paMtha BI aneka hai
BAvanA aBinna hai dharma - marma eka hai
pUrvajoM kA KUna eka Aja sabako joDatA
kouna hai kapUta vaha desa ko jo toDatA
aKaMda DeSa kI dharA suna rahI ye gAna hai ||3||
adharma kI GirI GaTA kucakra hai panapa rahe
puNya dharma BUmi para adharma karma baDha rahe
vRuthaa viSAl deSa kI Aja hama samaJa sake
Suddha rAShTraBAvase, deSa yaha mahaka uThe
rAShTrajAgaraNa karo yahI samaya kI mAMga hai ||4||
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