संघ गीत - GurupurnimaSong
उन्नत मस्तक नील गगन में
भगवा ध्वज फहरे ।
भगवा ध्वज फहरे।
बांधे कंकण वीर व्रती बन,
चुका सकें शत पीढ़ी के ऋण,
मातृभूमि के टूटे बंधन,
परदेसी सारे-2
उन्नत मस्तक...
धीर समस्या गहन अंधेरा,
कुश-कांटों से मार्ग भरा,
धैर्य कुशलता से सब मिलकर
बढ़ें वीर सारे-2
उन्नत मस्तक..
महोत्कर्ष का चिंतन मन में,
प्रतिपच्चन्द्र समान गगन में,
तत्सम आकांक्षा जीवन में,
परिपूरित छहरे।
उन्नत मस्तक..
शब्द अल्प हों कार्य प्रभावी
काल सुमंगल निश्चित भावी,
त्याग बिना यह जीवन कैसे,
सफल विकास करे-2
उन्नत मस्तक ..
अजेय होए अखंड भारत,
पूर्ण करेंगे दिव्य मनोरथ,
अरुण केतु यह विश्व गगन में,
गौरव से फ़हरे-2
उन्नत मस्तक नील गगन में
भगवा ध्वज फहरे ।
भगवा ध्वज फहरे।
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