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चलो जलाये दीप वहाँ जहाँ अभी भी अंधेरा है ॥धृ॥
स्वैराचारी मुक्त विहारी युवजन खाये ठोकर आज
मै और मेरा व्यक्ति केन्द्रित विचार मन मे करता राज
नष्ट-भ्रष्ट परिवार तन्त्र ने डाला अब यहा डेरा है ॥१॥
सुजला सुफला धरती माँ को मानव पशुओ ने लूटा
पृथ्वी माँ हम बच्चे उसके किया भाव यह सब झूठा
भौतिकता की विषवेला ने अखिल विश्व को घेरा है ॥२॥
नही डरेंगे नही रुकेंगे बढते जाये आगे हम
परिवर्तन की पावन आन्धी लाकर ही हम लेंगे दम
संघ शक्ति के रूप मे देखो अब हो रहा सवेरा है ॥३॥
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calo jalAye dIpa vahA~M jahA~M aBI BI aMdherA hai ||dhRu||
svairAcArI mukta vihArI yuvajana KAye Thokara Aja
mai aura merA vyakti kendrita vicAra mana me karatA rAja
naShTa-BraShTa parivAra tantra ne DAlA aba yahA DerA hai ||1||
sujalA suPalA dharatI mA~M ko mAnava paSu^^o ne lUTA
pRuthvI mA~M hama bacce usake kiyA BAva yaha saba JUThA
BautikatA kI viShavelA ne aKila viSva ko GerA hai ||2||
nahI DareMge nahI rukeMge baDhate jAye Age hama
parivartana kI pAvana AndhI lAkara hI hama leMge dama
saMGa Sakti ke rUpa me deKo aba ho rahA saverA hai ||3||
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