संघ गीत - सामूहिक गीत
शत शत नमन भरत भूमि को,
अभिनन्दन भारत माँ को।
जिसके रज कण मात कर रहे,
मलयागिरी के चन्दन को।
शत शत नमन भरत भूमि को..
राम कृष्ण की पावन धरती,
जो शक्ति संचार करे।
जन जन में बलिदान भावना,
कूट कूट कर नित्य भरे।
अर्जुन भीम शिवाजी जैसे,
गुण निर्माण कराने को।
शत शत नमन...
उत्तर में नगराज हिमालय ,
माँ का मुकुट सँवारता।
दक्षिण में रत्नाकर जिसके
पावन चरण पखारता।
बुला रही है हर प्राणी को
गीता ज्ञान सुनाने को
शत शत नमन...
इस धरती पर जन्म लिया है,
यह सौभाग्य हमारा है।
इस पर ही हो जीवन अर्पण,
यह संकल्प हमारा है।
बार बार यह जीवन पायें,
इस पर ही बलि जाने को।।
शत शत नमन भरत भूमि को,
अभिनन्दन भारत माँ को।
जिसके रज कण मात कर रहे,
मलयागिरी के चन्दन को।
शत शत नमन भरत भूमि को..
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