संघ गीत
परम वैभवी भारत होगा , संघ शक्ति का हो विस्तार
गूंज उठे गूंज उठे भारत माँ की जय जयकार
भारत माँ की जय जयकार ।।
व्यक्ति और परिवार प्रबोधन , समरसता का भाव बढ़े
नित्य मिलन चिन्तन मंथन से , संगठना का भाव जगे
इसी भाव के बल से गूंजे, देशभक्ति की फिर हुंकार ।।
हो किसान या हो श्रमजीवी , व्यवसायी या सैनिक हो
अध्यापक विद्यार्थी सेवक , या जन-जाति भाई हो
उद्यमिता और स्वावलम्बिता , शिक्षा में हो ये संस्कार ।।
हिन्दू संस्कृति की संरचना , मानवता का रक्षण है
जीवदया प्रकृति की पूजा , यह स्वभावगत लक्षण है
शुद्ध गगन पानी माटी से , निर्विकार बन बहे बयार ।।
शुभ परिवर्तन करने को अब , हम ऐसा संकल्प करें
अखंड भारत का वह सपना , सब मिलकर साकार करें
बाधा कोई रोक न सकती , जन्मसिद्ध अपना अधिकार ।
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