संघ गीत
युग-युग से हिन्दुत्व सुधा की,
बरस रही मंगलमय धार ।
भारत की हो जय-जयकार,
भारत की हो जय-जयकार ॥ध्रु॥
भारत ने ही सारे जग को,
ज्ञान और विज्ञान दिया ।
अनुपम स्नेह भरी दृष्टि से,
जन-जन का उपकार किया ।
जननी की पावन पूजा का,
सुखमय रूप हुआ साकार ।
भारत की हो जय-जयकार-2
भारत अपने भव्य रूप को,
धरती पर फिर प्रकटाये ।
नष्ट करे सारे भेदों को,
समरसता नित सरसाये ।
पुण्य धरा के अमर पुत्र हम,
पहचाने निज शक्ति अपार ।
भारत की हो जय-जयकार-2
भारत भक्ति हृदय में भरकर,
अनथक तप दिन-रात करें ।
शाखा रुपी नित्य साधना,
सुन्दर सुगठित रूप वरें ।
निर्भय होकर बढ़ें निरंतर,
दृढ़ता से जीवन व्रत धार ।
भारत की हो जय-जयकार-2
युग-युग से हिन्दुत्व सुधा की,
बरस रही मंगलमय धार ।
भारत की हो जय-जयकार,
भारत की हो जय-जयकार -3
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