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Friday, 24 December 2021

ज्योति जला निज others JYOTI JALAA NIJA rss



 संघ गीत

ज्योति जला निज प्राण की, बाती गढ़ बलिदान की

आओ हम सब चलें उतारें, मां की पावन आरती।


यह वसुंधरा मां जिसकी, गोदी में हमने जन्म लिया।

खाकर जिसका अन्न-अमृत सम, निर्मल शीतल नीर पिया॥

श्वासें भरीं समीर में, जिसका रक्त शरीर में।

आज उसी की व्याकुल होकर, ममता हमें पुकारती॥


जिसका मणिमय मुकुट सजाती, स्वर्णमयी कंचन जंघा।

जिसके वक्षस्थल से बहती, पावनतम यमुना-गंगा॥

संध्या रचे महावरी, गाये गीत विभावरी।

अरूण करों से ऊषा सलोनी, जिसकी मांग संवारती॥


जिस धरती के अभिनंदन को, कोटि-कोटि जन साथ बढे़।

जिसके चरणों के वंदन को, कोटि-कोटि तन-माथ चढ़े॥

लजा न जिसके क्षीर को, त्रण-सा तजा शरीर को।

अमर शहीदों की यशगाथा, जिसका स्नेह दुलारती॥


देखो इसीं धरा जननी पर, संकट के घन छाये हैं।

घनीभूत होकर सीमाओं पर, फिर से घिर आये हैं॥

शपथ तुम्हें अनुराग की, लुटते हुए सुहाग की।

पल भर की देरी न तनिक हो, माता खड़ी निहारती॥

चलें उतारें आरती, मां की पावन आरती।


ज्योति जला निज प्राण की, बाती गढ़ बलिदान की

आओ हम सब चलें उतारें, मां की पावन आरती।

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