संघ गीत
व्यक्ती व्यक्ती मे जगाये धर्म चेतना
जनमन संस्कार करे यही साधना ।
साधना नित्य साधना
साधना अखंड साधना ॥ध्रु॥
नित्य शाखा जाह्नवी पुनीत जलधरा
साधना की पुण्यभूमी शक्ती पीठीका
रजः कणों में प्रकटें दिव्य दीप मालीका
हो तपस्वी के समान संघ साधना ॥१॥
हे प्रभो तू विश्व की अजेय शक्ती दे
जगत हो विनम्र ऐसा शील हमको दे
कष्ट से भरा हुआ ये पंथ काटने
ज्ञान दे की हो सरल हमारी साधना ॥२॥
विजयशाली संघबद्ध कार्यशक्ती दे
तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा हमको दे
हिंदु धर्म रक्षणार्थ वीर व्रत स्फ़ुरे
तव कृपा से हो सरल हमारी साधना ॥३॥
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vyaktI vyaktI me jagAye dharma cetanA
janamana saMskAra kare yahI sAdhanA |
sAdhanA nitya sAdhanA
sAdhanA aKaMDa sAdhanA ||dhru||
nitya SAKA jAhnavI punIta jaladharA
sAdhanA kI puNyaBUmI SaktI pIThIkA
rajaH kaNoM meM prakaTeM divya dIpa mAlIkA
ho tapasvI ke samAna saMGa sAdhanA ||1||
he praBo tU viSva kI ajeya SaktI de
jagata ho vinamra aisA SIla hamako de
kaShTa se BarA hu^^A ye paMtha kATane
j~jAna de kI ho sarala hamArI sAdhanA ||2||
vijayaSAlI saMGabaddha kAryaSaktI de
tIvra aura aKaMDa dhyeya niShThA hamako de
hiMdu dharma rakShaNArtha vIra vrata sfure
tava kRupA se ho sarala hamArI sAdhanA ||3||
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व्यक्ति व्यक्ति मे जगाये राष्ट्र चेतना
जनमन संस्कार करे यही साधना ।
साधना नित्य साधना
साधना अखंड साधना ।।
नित्य शाखा जाह्नवी पुनीत जलधरा
साधना की पुण्यभूमि शक्ति पीठिका
रज कणों में प्रकटें दिव्य दीप मालिका
हो तपस्वी के समान संघ साधना ।
हे प्रभु तू विश्व की अजेय शक्ति दे
जगत हो विनम्र ऐसा शील हमको दे
कष्ट से भरा हुआ ये पंथ साधने
ज्ञान दे की हो सरल हमारी साधना ॥
विजयशाली संघबद्ध कार्यशक्ति दे
तीव्र और अखंड ध्येय निष्ठा हमको दे
हिंदु धर्म रक्षणार्थ वीर व्रत स्फ़ुरे
तव कृपा से हो सरल हमारी साधना ।।
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