संघ गीत
मन मस्त फ़कीरी धारी है - 3
अब एक ही धुन जय जय भारत।
जय जय भारत जय जय भारत -3
हम धन्य है इस जगजननी की
सेवा का अवसर है पाया
इसकी माटी वायु जल से
दुर्लभ जीवन है विकसाया
यह पुष्प इसी के चरणो में- 2
माँ प्राणो से भी प्यारी है ॥
सुन्दर सपने नव आकर्षण
सब तोड़ चले मुख मोड़ चले
वैभव महलों का क्या करना
सोते सुख से आकाश तले
साधन की ओर ना ताकेंगे - 2
काँटों की राह हमारी है ॥
ऋषियों मुनियों संतो का तप
अनमोल हमारी थाती है
बलिदानी वीरो की गाथा
अपने रग रग लहराती है
गौरवमय नव इतिहास रचें - 2
अब अपनी ही तो बारी है ॥
मन मस्त फ़कीरी धारी है
अब एक ही धुन जय जय भारत।
जय जय भारत जय जय भारत -3
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