संघ गीत
नवचैतन्य हिलोरें लेता-2 जाग उठी है तरुणाई।
हिंदुराष्ट्र निज दिव्य रूप में उठा पुनः ले अंगडाई
जाग उठी है तरुणाई ॥
नवचैतन्य हिलोरें लेता-2 जाग उठी है तरुणाई।
मुट्ठीभर आक्रांताओं ने अनगिन अत्याचार किये-2
आत्मशून्य दिग्भ्रमित हमीने उन्हे कई उपहार दिये।
विदेशियों की चाल न समझे लड़े मरे भाई भाई
जाग उठी है तरुणाई।
नवचैतन्य हिलोरें लेता-2 जाग उठी है तरुणाई
जाती भाषा वर्ग भिन्नता हैं कितने मिथ्या अभिमान-2
क्षेत्र-क्षेत्र के स्वार्थ उभारे ले अपनी-अपनी पहचान।
राष्ट्रभाव का करें जागरण पाट चलेंगे सब खाई।
जाग उठी है तरुणाई।
नवचैतन्य हिलोरें लेता-2 जाग उठी है तरुणाई।
विविध पंथ मत दर्शन अपने भेद नही वैशिष्ट्य हमारा-2
एक अभेद्य अखण्ड संस्कृति की बहती अमृत धारा।
सत्य सनातन धर्म अधिष्ठित शुभमंगल बेला आई।
जाग उठी है तरुणाई।
नवचैतन्य हिलोरें लेता-2 जाग उठी है तरुणाई।
हिंदुराष्ट्र निज दिव्य रूप मे उठा पुनः ले अंगडाई
जाग उठी है तरुणाई ॥
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