संघ गीत
ऐ वतन तेरी कसम
कुर्बान हो जाएंगे हम
तेरी खातिर मौत से भी
जा के टकराएंगे हम।
हम शिवा के लाडले बंदा बहादुर के सपूत
जालिमों से हम लड़े इतिहास है जिंदा सबूत
अब वही बीती कहानी फिर से दोहराएंगे हम
तेरी ख़ातिर......
भगत सिंह के भाई हम दशमेश की औलाद हैं,
अमन में हम फूल हैं और जंग में फौलाद हैं
सरफरोशी की तमन्ना है यही गाएंगे हम
तेरी खातिर .......
जुल्म से डरकर कभी ये गर्दनें है झुकती नहीं
शमा पर जलने चली ये गोलियां रुकती नहीं
या तो मर जाएंगे या फिर जीतकर आएंगे हम
तेरी ख़ातिर.....
कौन मूरख ख्वाब मेरे देश के है ले रहा
कौन अपनी मौत को है खुद बुलावा दे रहा
देशद्रोही दुश्मनों को सबक सिखाएंगे हम
तेरी खातिर.....
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