संघ गीत
शत नमन माधव चरण में
शत नमन माधव चरण में ॥
आप की पीयूष वाणी शब्द को भी धन्य करती
आप की आत्मीयता थी युगल नयनो से बरसती
और वह निश्चल हँसी जो गूँज उठती थी गगन मे ॥
ज्ञान मे तो आप ऋषिवर दीखते थे आद्य शंकर
और भोला भाव शिशु सा खेलता मुख पर निरन्तर
दीन दुखियो के लिये थी द्रवित करुणाधार मन मे ॥
दु:ख सुख निन्दा प्रशंसा आप को सब एक ही थे
दिव्य गीता ज्ञान से युत आप तो स्थितप्रज्ञ ही थे
भरत भू के पुत्र उत्तम आप थे युगपुरुष जन मे ॥
सिन्धु सा गम्भीर मानस थाह कब पाई किसीने
आगया सम्पर्क मे जो धन्यता पाई उसीने
आप योगेश्वर नये थे छल भरे कुरुक्षेत्र रण मे ॥
मेरु गिरि सा मन अडिग था आप ने पाया महात्मन
त्याग कैसा आप का वह तेज साहस शील पावन
मात्र दर्शन भस्म कर दे घोर षड रिपु एक क्षण मे ॥
***
ಶತ ನಮನ ಮಾಧವ ಚರಣ ಮೇ ||ಪ||
ಆಪ ಕೀ ಪೀಯುಷ ವಾಣೀ ಶಬ್ದ ಕೋ ಭೀ ಧನ್ಯ ಕರತೀ
ಆಪ ಕೀ ಆತ್ಮಿಯತಾ ಥೀ ಯುಗಲ ನಯನೋ ಸೇ ಬರಸತೀ
ಔರ ವಹ ನಿಶ್ಚಲ ಹಸೀ ಜೋ ಗೂಂಜ ಉಠತೀ ಥೀ ಗಗನ ಮೇ ||೧||
ಜ್ಞಾನ ಮೇ ತೋ ಆಪ ಋಷಿವರ ದೀಖತೇ ಥೇ ಆದ್ಯ ಶಂಕರ
ಔರ ಭೋಲಾ ಭಾವ ಶಿಶು ಸಾ ಖೇಲತಾ ಮುಖ ಪರ ನಿರಂತರ
ದೀನ ದುಖಿಯೋಂಕೇ ಲಿಯೇ ಥೀ ದ್ರವಿತ ಕರುಣಾಧಾರ ಮನ ಮೇ ||೨||
ದು:ಖ ಸುಖ ನಿಂದಾ ಪ್ರಶಂಸಾ ಆಪ ಕೋ ಸಬ ಏಕ ಹೀ ಥೇ
ದಿವ್ಯ ಗೀತಾ ಜ್ಞಾನ ಸೇ ಯುತ ಆಪ ತೋ ಸ್ಥಿತಪ್ರಜ್ಞ ಹೀ ಥೇ
ಭರತ ಭೂ ಕೇ ಪುತ್ರ ಉತ್ತಮ ಆಪ ಥೇ ಯುಗಪುರುಷ ಜನ ಮೇ ||೩||
ಮೇರು ಗಿರಿ ಸಾ ಮನ ಅಡಿಗ ಥಾ ಆಪ ನೇ ಪಾಯಾ ಮಹಾತ್ಮನ
ತ್ಯಾಗ ಕೈಸಾ ಆಪ ಕಾ ವಹ ತೇಜ ಸಾಹಸ ಶೀಲ ಪಾವನ
ಮಾತ್ರ ದರ್ಶನ ಭಸ್ಮ ಕರ ದೇ ಘೋರ ಷಡ ರಿಪು ಏಕ ಕ್ಷಣ ಮೇ ||೪||
ಸಿಂಧು ಸಾ ಗಂಭೀರ ಮಾನಸ ಥಾಹ ಕಬ ಪಾಈ ಕಿಸೀನೇ
ಆಗಯಾ ಸಂಪರ್ಕ ಮೇ ಜೋ ಧನ್ಯತಾ ಪಾಈ ಉಸೀನೇ
ಆಪ ಯೋಗೇಶ್ವರ ನಯೇ ಥೇ ಛಲ ಭರೇ ಕುರುಕ್ಷೇತ್ರ ರಣ ಮೇ ||೫||
***
Sata namana mAdhava caraNa me ||pa||
Apa kI pIyuSha vANI Sabda ko BI dhanya karatI
Apa kI AtmiyatA thI yugala nayano se barasatI
aura vaha niScala ha~MsI jo gUMja uThatI thI gagana me ||1||
j~jAna me to Apa RuShivara dIKate the Adya SaMkara
aura BolA BAva SiSu sA KelatA muKa para nirantara
dIna duKiyoMke liye thI dravita karuNAdhAra mana me ||2||
du:Ka suKa nindA praSaMsA Apa ko saba eka hI the
divya gItA j~jAna se yuta Apa to sthitapraj~ja hI the
Barata BU ke putra uttama Apa the yugapuruSha jana me ||3||
meru giri sA mana aDiga thA Apa ne pAyA mahAtmana
tyAga kaisA Apa kA vaha teja sAhasa SIla pAvana
mAtra darSana Basma kara de Gora ShaDa ripu eka kShaNa me ||4||
sindhu sA gamBIra mAnasa thAha kaba pA^^I kisIne
AgayA samparka me jo dhanyatA pA^^I usIne
Apa yogeSvara naye the Cala Bare kurukShetra raNa me ||5||
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शत नमन माधव चरण मे ॥प॥
आप की पीयुष वाणी शब्द को भी धन्य करती
आप की आत्मियता थी युगल नयनो से बरसती
और वह निश्चल हँसी जो गूंज उठती थी गगन मे ॥१॥
ज्ञान मे तो आप ऋषिवर दीखते थे आद्य शंकर
और भोला भाव शिशु सा खेलता मुख पर निरन्तर
दीन दुखियोंके लिये थी द्रवित करुणाधार मन मे ॥२॥
दु:ख सुख निन्दा प्रशंसा आप को सब एक ही थे
दिव्य गीता ज्ञान से युत आप तो स्थितप्रज्ञ ही थे
भरत भू के पुत्र उत्तम आप थे युगपुरुष जन मे ॥३॥
मेरु गिरि सा मन अडिग था आप ने पाया महात्मन
त्याग कैसा आप का वह तेज साहस शील पावन
मात्र दर्शन भस्म कर दे घोर षड रिपु एक क्षण मे ॥४॥
सिन्धु सा गम्भीर मानस थाह कब पाई किसीने
आगया सम्पर्क मे जो धन्यता पाई उसीने
आप योगेश्वर नये थे छल भरे कुरुक्षेत्र रण मे ॥५॥
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