संघ गीत
अगर हम नही देश के काम आए
धरा क्या कहेगी गगन क्या कहेगा ॥धृ॥
चलो श्रम करे देश अपना सँवारें
युगों से चढी जो खुमारी उतारें
अगर वक्त पर हम नहीं जाग पाएं
सुभह क्या कहेगी पवन क्या कहेगा ॥१॥
मधुर गन्ध का अर्थ है खूब महके
पडे संकटों की भले मार चेहके
अगर हम नहीं पुष्प सा मुस्कुराएं
लता क्या कहेगी चमन क्या कहेगा ॥२॥
बहुत हो चुका स्वर्ग भू पर उतारें
करें कुछ नया स्वस्थ सोचें विचारें
अगर हम नहीं ज्योति बन झिलमिलाएं
शमा क्या कहेगी वतन क्या कहेगा ॥३॥
***
agara hama nahI deSa ke kAma A^^e
dharA kyA kahegI gagana kyA kahegA ||dhRu||
calo Srama kare desha apanA sa~MvAreM
yugoM se caDhI jo KumArI utAreM
agara vakta para hama nahIM jAga pAeM
suBaha kyA kahegI pavana kyA kahegA ||1||
madhura gandha kA artha hai KUba mahake
paDe saMkaToM kI Bale mAra cehake
agara hama nahIM puShpa sA muskurAeM
latA kyA kahegI camana kyA kahegA ||2||
bahuta ho cukA svarga BU para utAreM
kareM kuCa nayA svastha soceM vicAreM
agara hama nahIM jyoti bana JilamilAeM
SamA kyA kahegI vatana kyA kahegA ||3||
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ಅಗರ ಹಮ ನಹೀ ದೇಶ ಕೇ ಕಾಮ ಆಏ
ಧರಾ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗೀ ಗಗನ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗಾ ||ಧೃ||
ಚಲೋ ಶ್ರಮ ಕರೇ ದೇಶ ಅಪನಾ ಸಂವಾರೇಂ
ಯುಗೋಂ ಸೇ ಚಢೀ ಜೋ ಖುಮಾರೀ ಉತಾರೇಂ
ಅಗರ ವಕ್ತ ಪರ ಹಮ ನಹೀಂ ಜಾಗ ಪಾಏಂ
ಸುಭಹ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗೀ ಪವನ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗಾ ||೧||
ಮಧುರ ಗಂಧ ಕಾ ಅರ್ಥ ಹೈ ಖೂಬ ಮಹಕೇ
ಪಡೇ ಸಂಕಟೋಂ ಕೀ ಭಲೇ ಮಾರ ಚೆಹಕೇ
ಅಗರ ಹಮ ನಹೀಂ ಪುಷ್ಪ ಸಾ ಮುಸ್ಕುರಾಏಂ
ಲತಾ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗೀ ಚಮನ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗಾ ||೨||
ಬಹುತ ಹೋ ಚುಕಾ ಸ್ವರ್ಗ ಭೂ ಪರ ಉತಾರೇಂ
ಕರೇಂ ಕುಛ ನಯಾ ಸ್ವಸ್ಥ ಸೋಚೇಂ ವಿಚಾರೇಂ
ಅಗರ ಹಮ ನಹೀಂ ಜ್ಯೋತಿ ಬನ ಝಿಲಮಿಲಾಏಂ
ಶಮಾ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗೀ ವತನ ಕ್ಯಾ ಕಹೇಗಾ ||೩||
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अगर हम नही देश के काम आए
धरा क्या कहेगी गगन क्या कहेगा ॥
चलो श्रम करे देश अपना सँवारें
युगों से चढी जो खुमारी उतारें
अगर वक्त पर हम नहीं जाग पाएं
सुभा क्या कहेगी पवन क्या कहेगा ॥
मधुर गन्ध का अर्थ है खूब महके
पडे संकटों की भले मार सहके
अगर हम नहीं पुष्प बन मुस्कुराएं
लता क्या कहेगी चमन क्या कहेगा ॥
बहुत हो चुका स्वर्ग भू पर उतारें
करें कुछ नया स्वस्थ सोचें विचारें
अगर हम नहीं ज्योति बन झिलमिलाएं
निशा क्या कहेगी भुवन क्या कहेगा ॥
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