संघ गीत
हम स्वयंसेवक बने हैं राष्ट्र का गौरव बढ़ाने ।
भारती के सुप्त पुत्रों को पुनः जागृत बनाने।।
राष्ट्र को जागृत बनाने,शक्ति का संचय करें।
हिन्दु -हिन्दु के हृदय में राष्ट्रहित चिन्तन भरें।।
हम स्वयंसेवक बने यह भाव जन-जन में जगाने।
भारती के सुप्त पुत्रों को पुनः जागृत बनाने।।१।।
भाव समरसता जगायें शक्ति का आधार पाने।।
केन्द्र है शाखा हमारी भाव यह मन में जगाने ।
हम स्वयंसेवक बने हैं भाव समरसता बढ़ाने।
भारती के सुप्त पुत्रों को पुनःजागृत बनाने।।२।।
खेल खेलें और जगायें मनुज मन सद्भावना ।
स्वस्थ चर्चा से बढ़े सम्वाद की मृदु भावना।।
हम स्वयंसेवक बने हैं ज्ञान की ज्योति जगाने।
भारती के सुप्त पुत्रों को पुनः जागृत बनाने।।३।।
शील मय शक्ति संजोऐं वीरव्रत धारण करें।
ध्येयनिष्ठा से सहज मन हिन्दु सम्वर्धन करें।।
हम स्वयंसेवक बने हैं भारती विकसित बनाने।
भारती के सुप्त पुत्रों को पुनः जागृत बनाने।।४।।
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