संघ गीत
एक राष्ट्र का चिन्तन मन में
कोटि-कोटि जनता की जय हो
भारत जननी एक हृदय हो।
स्नेह सिक्त मानस की वाणी
गूँजे गिरा यही कल्याणी
चिर उदार भारत की संस्कृति
सदा अभय हो सदा अभय हो॥१॥
भारत जननी एक हृदय हो
मिटे विषमता सरसे समता
रहे मूल में मीठी ममता
तमस कालिमा को विदीर्ण कर
जन-जन का पथ ज्योतिर्मय हो॥२॥
भारत जननी एक हृदय हो
एक धर्मभाषा विभिन्न स्वर
एक राग अन्तर में सजकर
झंकृत करे हृदय तन्त्री को
स्नेह भाव प्राणों में लय हो
भारत जननी एक हृदय हो॥३॥
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