संघ गीत
हम सेवक है मानवता के,
सेवा धर्म हमारा है।
दीन दुखी की सेवा करना,
निश्चित कर्म हमारा है ।।
जिसने सेवा धर्म निभाया,
नर में नारायण देखा।
वही महामानव देखेगा,
हर मानव में प्रभु रेखा।
एक ब्रह्म है पिता सभी का,
निर्मित यह जग सारा है।।
सबको मिले जीविका जग में,
में भूखा सोए जीव नहीं।
सभी करें श्रम साहस संयम,
अपनाए तरकीब यही।
सब समान हो सब महान हो,
यह हमने स्वीकारा है ।।
शिक्षा की सुविधा हो सबको,
सभी एक हो भेद न हो।
अपना-अपना कर्म करें सब,
पछतावा या खेद न हो।
स्वस्थ सुखी सानंद रहें सब,
यह अभियान हमारा है ।।
हम सेवक है मानवता के,
सेवा धर्म हमारा है।
दीन दुखी की सेवा करना,
निश्चित कर्म हमारा है ।।
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