Friday, 24 December 2021

मातृ मंदिर का समर्पित others MAATRU MANDIR KA SAMARPITA rss


 

 संघ गीत

मातृ मंदिर का समर्पित दीप मैं 

चाह मेरी यह कि मैं जलता रहूँ।


कर्म पथ पर मुस्कुराऊँ सर्वदा

आपदाओं को समझ वरदान मैं।

जग सुने झूमे सदा अनुराग में

उल्लसित हो नित्य गाऊँ गान मैं।

चीर तम-दल अज्ञता निज तेज से

बन अजय निश्शंक मै चलता रहूँ ॥१॥

चाह मेरी .......


सुमन बनकर सज उठे जयमाल में

राह में जितने मिले वे शूल भी

धन्य यदि मै ज़िन्दगी की राह में

कर सके अभिषेक मेरा धूल भी

क्योंकि मेरी देह मिट्टि से बनी है

क्यों न उसके प्रेम में पलता रहूं ॥२॥

चाह मेरी .........


मै जलूँ इतना कि सारे विश्व में

प्रेम का पावन अमर प्रकाश हो।

मेदिनी यह मोद से विहँसे मधुर

गर्व से उत्फुल्ल वह आकाश हो।

प्यार का संदेश दे अन्तिम किरण

मैं भले अपनत्व को छलता रहूं ॥३॥

चाह मेरी .....

 ***


No comments:

Post a Comment