संघ गीत
गीत विजय के गाये जा ।
अपना धरम निभाये जा ।।
अपना धरम है संयम पथ पर,
रखना तन को, मन को शुद्ध ।
कोई भी व्यवहार आचरण,
कभी ना होगा नीति विरुद्ध ।।
जीवन पुष्प चढ़ाये जा
अपना धरम निभाये जा--------(1)
अपना धरम है तजें विषमता,
समरस अमृत घोलेंगे ।
सारे भेद तिरोहित करके,
हृदय हृदय को जोड़ेंगे ।।
नव चैतन्य जगाए जा
अपना धरम निभाये जा--------(2)
अपना धरम है निर्भय होकर,
अनथक तप दिनरात करें ।
सर्व सुमंगल जीवन व्रत का,
हर पल हर क्षण ध्यान करें ।।
मुक्त गगन लहराए जा
अपना धरम निभाये जा -------(3)
गीत विजय के गाये जा ।
अपना धरम निभाये जा ।।
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